देश में जेनरिक दवाओं के इस्तेमाल को लेकर केंद्र की मोदी सरकार अब सख्त होती नजर आ रही है. केंद्र सरकार ने सोमवार को एक आदेश जारी कर अपने सभी डॉक्टरों को जेनरिक दवा लिखने की हिदायत दी है.
सरकार ने चेतावनी देते हुए कहा कि अगर डॉक्टर अपनी पर्ची में जेनरिक दवा नहीं लिखते हैं तो उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी. स्वास्थ्य सेवा के डायरेक्टर जनरल ने आदेश जारी करते हुए बात की चेतावनी दी है कि जो कोई भी डॉक्टर जेनरिक दवाओं को अपने पर्ची में शामिल नहीं करेगा उसके खिलाफ बड़ा एक्शन लिया जा सकता है. आदेश में यह भी कहा गया है कि कुछ डॉक्टरों की ओर से ब्रांडेड दवाएं लिखी जा रही है जो कि ठीक नहीं है.

अतिरिक्त मेडिकल रिप्रजेंटेटिव का डॉक्टरों से मिलने के लिए भी नए दिशा निर्देश जारी किया गया है. डॉ अतुल गोयल ने अपने नोटिस में डॉक्टरों को इस बात की हिदायद दी है कि किसी भी सूरत में अपनी पर्ची पर केवल जेनरिक दवाओं को ही लिखें
केवल जेनरिक दवा लिखने के निर्देश
आदेश जारी करते हुए कहा है कि बहुत सारे मामलों में कमेटी ने यह पाया है कि कई ऐसे डॉक्टर हैं जो अपनी पर्ची पर जेनरिक दवाओं का नाम नहीं लिख रहे हैं. ऐसे में जरूरी यह है कि इस बात को पूरी तरह से अमली जामा पहनाया जाए औऱ पर्ची पर केवल और केवल जेनरिक दवाएँ ही लिखी जाए.
नीचे दिए लिंक पर देखे वीडियो…ब्रांडेड दवाइयों का काला सच
क्यो जरूरी है जेनरिक दवाएं
आमतौर पर जेनरिक दवाएं ब्रांडेड दवाओं की तुलना में काफी सस्ती होती हैं. सत्ती होने की वजह से मरीजों पर आर्थिक बोझ नहीं बढ़ता है. ब्रांडेड और जेनरिक दवाओं की कीमत में रात-दिन का फर्क होता है.