बोईसर जैसे प्रदूषित शहर को देश के 131 शहरों की एनएसी सूची में नही किया शामिल,केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की रिपोर्ट से सामने आए चौकाने वाले खुलासे

by | May 13, 2023 | पालघर, महाराष्ट्र

आप जानकर हैरत में पड़ जाएंगे कि भारत के 131 शहर ऐसे हैं, जहां सांस लेते समय लोग जहर निगल रहे हैं. इन 131 शहरो में सबसे ज्यादा शहर महाराष्ट्र के हैं,पर बोईसर जैसे और भी शहर है जो प्रदूषित होकर भी प्रदूषण विभाग की मेहरबानी से इस सूची से बाहर है ।
लोकसभा में केंद्र सरकार से प्रदूषण की स्थिति के बारे में जवाब देते हुए 13 फरवरी को केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव ने बताया कि देश के 24 राज्यों के 131 शहरों में प्रदूषण की स्थिति बहुत खराब हो चुकी है. इनमें 19 शहर ऐसे भी हैं, जिन के हालात सबसे ज्यादा खराब हैं. भूपेंद्र यादव के अनुसार, इन शहरों को नेशनल क्लीन एयर प्रोग्राम के तहत रखकर AQI की लगातार निगरानी हो रही है. इन शहरों का प्रदूषण 40 फीसदी तक घटाने का टारगेट सरकार ने साल 2025 से 2026 तक तय किया है. यह टारगेट नेशनल एंबियंट एयर क्वालिटी स्टैंडर्ड्स (NAAQS) के तहत तय किया गया है.
भारत सरकार ने पूरे देश में वायु प्रदूषण के स्तर को कम करने के लिए राष्ट्रीय स्तर की रणनीति के रूप में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) शुरू किया है। राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों से अधिक परिवेशी वायु गुणवत्ता स्तरों के आधार पर प्रदूषित शहरों की पहचान की गई है। 131 गैर-प्राप्ति और मिलियन प्लस शहरों में कार्यान्वयन के लिए शहर विशिष्ट स्वच्छ वायु कार्य योजनाएं तैयार की गई हैं और शुरू की गई हैं।

महाराष्ट्र में, 19 प्रदूषित शहर (एनएसी) यानी अकोला, अमरावती, औरंगाबाद , बदलापुर, चंद्रपुर, जलगाँव, जालना, कोल्हापुर, लातूर, मुंबई, नागपुर, नासिक, नवी मुंबई, पुणे, सांगली, सोलापुर, उल्हासनगर, ठाणे और वसई-विरार इन शहरों की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए विभिन्न हितधारकों द्वारा इन शहरों में सिटी एक्शन प्लान तैयार किए गए हैं और इन्हें लागू किया जा रहा है।

जानिए बोईसर जैसा प्रदूषित शहर क्यो वंचित इस योजना से

बोईसर एमआईडीसी की पहचान एनएसी के रूप में नहीं की गई है क्योंकि एनएसीएस की पहचान करने का मानदंड इस प्रकार है: लगातार पिछले पांच वर्षों के दौरान निगरानी किए गए वायु गुणवत्ता डेटा उपलब्ध होना चाहिए। एनएसी की प्रस्तावित सूची 2015-2019 की अवधि के लिए परिवेशी वायु गुणवत्ता डेटा पर आधारित है। लगातार पांच वर्षों के लिए अधिसूचित मापदंडों में से किसी एक के संबंध में वार्षिक राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों को पार करने वाले शहरों को एनएसी के रूप में लिया जाएगा।
बोईसर तारापुर औद्योगिक क्षेत्र का वायु गुणवत्ता डेटा ( Air Quality Data) 2015 से 2019 के अवधि तक के आंकड़े सरकारी रिकॉर्ड से या तो गायब है या कराया नही गया है। यह निश्चित रूप से कोई संयोग नहीं हो सकता है। यह डाटा ना होने के वजह से बोईसर तारापुर औद्योगिक क्षेत्र को CLEAN AIR PROGRAM के योजना का लाभ नही मिलेगा, तब तक, जब तक अगला 5 साल का रिकॉर्ड नही दिया जाता है । यह जानकारी तब सामने आई जब समाजसेवी व पर्यावरण प्रेमी आशीष पांडेय ने केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड से जानकारी मांगी ।

बोईसर को लेकर क्या कहा केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड ने

इसके अलावा, इस मामले को देखने और ऐसी गतिविधियों को करने के लिए समाजसेवी व पर्यावरण प्रेमी आशीष पांडेय को केंद्रीय प्रदूषण बोर्ड ने जवाब में बताया कि आपके अनुरोध को महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण नियंत्रण बोर्ड में स्थानांतरित कर दिया गया है । अब सवाल यह भी है कि अब भी महाराष्ट्र राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड नजरंदाज करता है या इस मामले पर तुरंत संज्ञान लेगा ।

डाउन टू अर्थ’ की रिपोर्ट में देश के सबसे प्रदूषित क्षेत्र में पहले स्थान पर तारापुर

कुछ वर्ष पहले महाराष्ट्र के तारापुर औद्योगिक क्षेत्र को देश के सबसे प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्रों में अव्वल पाया गया था । केंद्रीय विज्ञान एवं पर्यावरण संस्थान के पर्यावरण शोध पत्र ‘डाउन टू अर्थ’ ने अपनी वार्षिक पर्यावरण रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें औद्योगिक जगत की कठोर समीक्षा की गई थी।
जल प्रदूषण में देश के 88 प्रदूषित औद्योगिक क्षेत्रों में सबसे खराब प्रदर्शन करने वाले औद्योगिक क्षेत्रों में औरंगाबाद, नासिक और तारापुर शामिल थे। पर इस औद्योगिक क्षेत्र में बिना कुछ ठोस कदम उठाए कैसे अचानक साफ सुथरा हो गया कि यह प्रदूषित क्षेत्र की सूची से बाहर हो गया ।

क्या है NCAP?

यह वायु प्रदूषण की रोकथाम के लिये व्यापक और समयबद्ध रूप से बनाया गया पाँच वर्षीय कार्यक्रम है।
इसमें संबंद्ध केंद्रीय मंत्रालयों, राज्य सरकारों, स्थानीय निकायों और अन्य हितधारकों के बीच प्रदूषण एवं समन्वय के सभी स्रोतों पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
इसका प्रमुख लक्ष्य वायु प्रदूषण की रोकथाम, नियंत्रण और उन्मूलन के लिये काम करना है।
देश के ज्यादातर शहरों में गंभीर वायु प्रदूषण से निपटने के लिये पर्यावरण मंत्रालय की इस देशव्यापी योजना के तहत अगले पांच वर्षों में 102 प्रदूषित शहरों की वायु को स्वच्छ करने का लक्ष्य रखा गया है।
इसके तहत 2017 को आधार वर्ष मानते हुए वायु में मौज़ूद PM 2.5 और PM10 पार्टिकल्स को 20 से 30 फीसदी तक कम करने का ‘अनुमानित राष्ट्रीय लक्ष्य’ रखा गया है।
इस योजना के तहत राज्यों को आर्थिक सहायता भी दी जाएगी, ताकि वायु प्रदूषण से निपटने के लिये जो काम किये जाने हैं, उनमें पैसे की कमी बाधा न बने।
प्रत्येक शहर को प्रदूषण के स्रोतों के आधार पर कार्यान्वयन के लिये अपनी कार्ययोजना विकसित करने के लिये कहा जाएगा।
दोपहिया वाहनों के क्षेत्र में ई-मोबिलिटी की राज्य-स्तरीय योजनाएँ, चार्जिंग इन्फ्रास्ट्रक्चर में तेज़ी से वृद्धि, बीएस-VI मानदंडों का कड़ाई से कार्यान्वयन, सार्वजनिक परिवहन प्रणाली को बढ़ावा देना और प्रदूषणकारी उद्योगों के लिये तीसरे पक्ष के ऑडिट को अपनाना भी NCAP में शामिल हैं।

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