पालघर : विभिन्न राष्ट्रीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों की रैंकिंग तय करने के लिए निर्धारित स्वास्थ्य सूचकांक के मूल्यांकन में पालघर जिला परिषद पांचवें स्थान पर आने पर प्रशासन ने अपनी पीठ थपथपाई.हालांकि, जिले की स्वास्थ्य व्यवस्था ठीकठाक नही है ।
मोखाडा तालुका में पंद्रह सौ की आबादी वाले दूरस्थ अंचलों में स्वास्थ्य व्यवस्था तक नहीं है तो आकलन कौन व कैसे कर रहा है।
कुर्लोद गांव मोखाडा से कम से कम 20 से 25 किमी की दूरी पर है। हालांकि यह गांव खोडाला प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र के अंतर्गत आता है, खोडाला से कुर्लोद की दूरी भी लगभग 20 किमी है। इस ग्राम पंचायत की आबादी लगभग डेढ़ हजार रायपाड़ा, शेन्द्याचापाड़ा, जंभूलपाड़ा और अम्बेपाड़ा शामिल हैं। अब तक सर्पदंश या अन्य महामारी रोगों से अक्सर लोगों की मौत हो चुकी है। बचाव शिविर के नाम से एक व्यवस्था स्थापित है। हालांकि यह भी अब नजर नही आ रही है, कारण यह है कि इस ग्राम पंचायत के चार पाड़ा जम्भुलपाड़ा, रायपाड़ा शेड्याचपाड़ा और अम्बापाड़ा का संचार मानसून के दौरान पूरी तरह से टूट जाता है. क्योंकि इन गांवों के बीच नदी तो है लेकिन उस पर पुल नहीं है। ऐसे में यहां उपकेंद्र व स्वास्थ्य व्यवस्था होना जरूरी है, लेकिन स्वास्थ्य व्यवस्था नहीं होने से नागरिकों के पास अक्सर जान गंवाने के अलावा कोई चारा नहीं रहता।
तालुक के दो उपकेंद्र खोच और कुर्लोद को 6 साल पहले स्वीकृत किया गया था, और खोच उप केंद्र तैयार किया गया था, लेकिन कुर्लोद में जमीन का मामला सामने आया है और फाइल अब भी आगे नहीं बढ़ रहा है। इस वजह से सवाल उठता है कि क्या सरकार प्रशासन या जनप्रतिनिधि इस गांव में भी किसी पीड़ित के मरने का इंतजार कर रहे हैं ।पालघर जिले में स्वास्थ्य क्षेत्र में सुधार हुआ है, अन्यथा स्वास्थ्य व्यवस्था केवल कागजों में ही राजा बनी हुई है ।