भगवान एक बार घर पहुंचा दें, बस कुछ और नहीं चाहिए। एक बार घर चले आए तो जिंदगी भर बाहर कमाने नहीं जाएंगे । ये हालत कोरोना में लगे लॉकडाउन में कई लोगो के साथ हुई थी,पर यह खबर आप सभी को झकझोर कर रख देगी ।
उजड़ते आशियाने, भावुक चेहरे, बेबस परिवार…पढ़े पूरी खबर
पालघर : भगवान एक बार घर पहुंचा दें, बस कुछ और नहीं चाहिए। एक बार घर चले गए तो जिंदगी भर बाहर कमाने नहीं आएंगे। ये हालत कोरोना में लगे लॉकडाउन में कई लोगो के साथ हुई थी,पर यह खबर आप सभी झकझोर कर रख देगी । पालघर जिले के उन परिवारों का दुख दर्द जो उनको बोलते भी नही बन रहा है ,ऐसी पीड़ा जो खुद के गले मे आकर रुक जाती है व बताने पर आंखे छलकने लग जाती है ।


नीलम अपने गोद में तीन साल की बच्ची लिए हुए बैठी हैं। जब वह गर्भवती थी उसी समय नीलम के पति रघु दिवा मछली पकड़ते हुए पाकिस्तान के क्षेत्र में चले गए और वहां की नौ सेना ने उन्हें साथियों समेत पकड़ लिया। नीलम बताती है, कि तीन साल की उनकी बच्ची हो गई है लेकिन अब तक वह अपने पिता को देख नही सकी है। न जाने किस हाल में हैं? नीलम जैसी न जाने कितनी महिलाएं है जिनके पति आज भी पाकिस्तानी जेलों में बंद है और उनके इंतजार का अंत नहीं हो रहा है।
गुजरात राज्य के ओखा से मत्स्यगंधा और एक अन्य नाव सितंबर 2022 को हमेशा की तरह मछली पकड़ने के लिए समुद्र में गई। नाव समुंदर में छोड़े गए जालों को ले जा रही थीं, तभी अचानक पाकिस्तानी समुद्री सुरक्षा एजेंसी की स्पीड बोट ने भारतीय मछली पकड़ने वाली नौकाओं को घेर लिया और उन नाव में सवार नौ लोगों को पाकिस्तानी सुरक्षाकर्मियों ने हिरासत में लिया। इनमें से सात आदिवासी मछुवारे पालघर जिले के दहानू तालुका के हैं।
पाकिस्तान की सुरक्षा एजेंसियों द्वारा हिरासत में लिए गए लोगों के परिवारों तक जब यह जानकारी पहुंची तो उनके ऊपर दुखों का पहाड़ टूट पड़ा। क्योंकि उनके ऊपर ही परिवारों की जिम्मेदारी थी। एक लंबे इंतजार के बाद भी मछुआरों की घर वापसी न होने पर सभी पीड़ित परिवार सदमे में है और घर और बच्चों का कैसे खर्च चलाया जाए, इनके सामने एक गंभीर सवाल खड़ा हो गया है।
पाक की जेलों में बंद निर्दोष मछुआरे
नवश्या महाद्या भिमरा(, 31, निवासी राऊतपाडा), सरीत सोन्या उंबरसाडा( निवासी , राऊतपाडा), कृष्णा रामज बुजड( 18,निवासी राऊतपाडा), विजय मोहन नगवासी( 30,) निवासी, गोरातपाडा) विनोद लक्ष्मण कोल( 53, निवासी खुनवडे-गोरातपाडा) अस्वाली गांव के रहने वाले है। इसी तरह जयराम जान्या सालकर( 35,निवासी भिनारी, रायातपाडा) उधऱ्या रमण पाडवी(25, निवासी सोगवे डोंगरीपाडा) पाकिस्तानी जेलों में बंद मछुआरों के नाम है।
ये सभी ओखा बंदरगाह में मछली पकड़ने वाली नाव पर रोजगार के लिए गए थे। पालघर के दहानू, तलासरी, विक्रमगढ़ जैसे दूर-दराज के इलाकों से सैकड़ों मजदूर गुजरात की ओर रुख करते हैं क्योंकि स्थानीय स्तर पर कोई रोजगार उपलब्ध नहीं है। अपना पेट भरने के लिए आदिवासी अपनी जान जोखिम में डाल रहे हैं और कई परिवार के मुखिया नावों पर मछुआरे के रूप में मछली पकड़ने जाते हैं।कुछ लोग छूट कर भी आए हैं, वे दोबारा मछली पकड़ने भी चले गए हैं। यहां कोई दूसरा रोजगार का साधन नहीं है। मजबूरी है, इसलिए यही काम करना पड़ता है।
परिवार पर दुखों का पहाड़, दर्द जानने वाला कोई नही
कृष्णा भुजड़ के पाकिस्तानी के कब्जे में जाने के बाद उनके परिवार पर बड़ी मुसीबत आ पड़ी है। कृष्णा अपने घर में एकमात्र कमाने वाले थे। उनकी दादी विकलांग है और मां मजदूरी कर परिवार का भरण-पोषण करती है। परिवार भरण पोषण के लिए, कृष्णा गुजरात के ओखा बंदरगाह में एक मछली पकड़ने वाली नाव पर नाविक के रूप में काम करने गया। लेकिन फिलहाल कृष्णा पाकिस्तानी सेना की गिरफ्त में है और कृष्णा का परिवार एक वक्त की रोटी के लिए दर दर की ठोकर खा रहा है। कृष्णा के परिवार की मांग है कि भारत सरकार जल्द से जल्द उन्हे पाकिस्तान की जेल से रिहा करवाए।
अब तक नही कोई आधिकारिक आंकड़ा
दिलचस्प बात यह है कि पाकिस्तान सरकार की हिरासत में कितने भारतीय मछुआरे और उनकी नाव हैं, इसका कोई आधिकारिक आंकड़ा उपलब्ध नहीं है।
केंद्र सरकार पाकिस्तान द्वारा जब्त की गई नावों पर कड़ा रुख अपनाती है और तत्काल निर्णय लेती है तो पाकिस्तानी जेलों में बंद कई लोगों की घर वापसी हो जायेगी जिससे उनके परिवार की खुशियां लौट आयेगी। और मछुआरों के लिए अपना व्यवसाय फिर से शुरू करना और अपने कर्ज को उतरना
संभव होगा। कई पीड़ित परिवारों का कहना है कि मछुआरों को मछली पकड़ने के दौरान में पकड़े जाने के बाद उनके मालिक उन्हें छोड़ देते हैं। जिससे उनके परिवार की हालत और बिगड़ जाती है। बता दे कि पाकिस्तान की जेलों में सैकड़ों भारतीय मछुआरे बंद है। एक जानकारी के अनुसार इनमे से करीब 21 मछुआरे पालघर जिले के रहने वाले है।
जिले के हजारों लोग मछली पकड़ कर चलाते है जीविका
आदिवासी बाहुल्य पालघर के जव्हार मोखाडा, विक्रमगढ़, वाडा, तलासरी, पालघर, दहानू तालुकों में रोजगार के कोई बड़े अवसर नहीं हैं, इसलिए 25,000 से अधिक आदिवासी गुजरात में मछली पकड़ने वाली नावों पर मछली पकड़ने का काम करते हैं। रोजगार के लिए राज्य गुजरात में ओखा, पोरबंदर, जामनगर जिले मछली पकड़ने के लिए प्रसिद्ध हैं और इसे पैपलेट, ढाडा, घोल आदि के लिए ‘गोल्डन बेल्ट’ माना जाता है। इसलिए इस क्षेत्र के खासकर पालघर जिले से मछुआरे और नाविक रोजगार के लिए नावों में आते हैं। यदि ये नौकाएँ गलती से पाकिस्तानी जल क्षेत्र में पहुँच जाती हैं, तो पाकिस्तानी सेना मछुआरों को गिरफ्तार कर लेती है और उनके खिलाफ मामला दर्ज करती है। इसके बाद वे सालों तक जेल में सड़ते को मजबूर होते है।
पाकिस्तानी जेलों के बंद मछुआरों के परिजनों का कहना है कि सरकार से हमे मदद नहीं मिल रही घर में बुजुर्ग है,बच्चे हैं। तेल हो या चावल हर चीज महंगी हो गई।कैसे गुजारा चलेगा? हम मजदूरी करने जाते है जहां 300 से 400 रुपए तक मिलते हैं, तब भी घर चलाना मुश्किल होता है। सरकार हमें मदद न दे लेकिन हमारे घर के लोगों को पाकिस्तान की जेलों से छुड़ा दे।
पालघर की विक्रमगढ़ विधानसभा सीट से एनसीपी के विधायक सुनील भुसारा ने पिछले सप्ताह रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से मिलकर पालघर के तटीय क्षेत्रों की सुरक्षा का मामला उठाया और पालघर के पाकिस्तानी जेलो में बंद मछुआरों की घर वापसी के लिए तत्काल कदम उठाए जाने की मांग की है। भुसारा ने दावा कि बड़ी संख्या में पालघर के मछुआरे पाकिस्तान की जेलों में बंद है।
