बोईसर | क्या झुग्गी पुनर्वास योजना से गरीबो का होगा कायाकल्प या …? पढ़े पूरी खबर

by | Jan 22, 2023 | पालघर, महाराष्ट्र


बोईसर : वैसे तो आवास के अधिकार को सभी लोगों के लिए एक बुनियादी अधिकार घोषित किया गया है,पर विशेष रूप से बड़े शहरी केंद्रों व कस्बों में इस अधिकार को सार्थक रूप से लागू करना लगभग असंभव पाया गया है। पर बोईसर की स्थिति से आप हम सभी अच्छी तरह से वाकिफ ही है.

झुग्गी पुनर्वास योजना कितनी सफल ?

झुग्गी पुनर्वास योजना 1997 में महाराष्ट्र में लाई गई थी और मूल रूप से, इसने गरीबों के लिए कम लागत वाले घरों को सुनिश्चित करने के लिए निजी बिल्डरों की मानवीय दया पर निर्भर रहने की मांग की थी। योजना को लागू करने के लिए स्लम पुनर्विकास प्राधिकरण (SRA) नामक एक निकाय की स्थापना की गई जिसके पास बहुत बड़ी शक्तियाँ थीं। एसआरए को किसी भी क्षेत्र को स्लम घोषित करने का अधिकार दिया गया था, और स्लम पुनर्विकास योजना को 70% स्लम निवासियों की सहमति से शुरू किया जा सकता था।
किसी भी शहरी शहर में संपत्ति की कीमतें मूल रूप से जमीन की कीमतों पर निर्भर करती हैं और दूसरी ओर अगर निर्माण लागत की बात करे तो उसके लिए महंगा व सस्ता क्षेत्र से कोई लेना देना नहीं है। इसमे डेवेलोप के समीकरण इस तरह से काम करता है कि डेवलपर दो मकानों की निर्माण लागत में निवेश करता है – एक झुग्गीवासियों के लिए मुफ्त में और दूसरा जिसे वह बेचने के लिए स्वतंत्र होता है।

वर्तमान एसआरए योजनाओं के साथ, बिल्डरों, राजनेताओं, अधिकारियों और माफियाओं ने शानदार कमाई की है। ये लोग झुग्गी-झोपड़ियों में रहने वालों की संख्या भी अपने हिसाब से बढ़ा देते हैं, सार्वजनिक भूमि पर एक झोपड़ी बनाकर कब्जा करना, झुग्गीवासियों को अपनी योजना में शामिल होने के लिए मजबूर करने जैसे विषय भी शामिल हैं।

स्लम पुनर्विकास नीति में शामिल होने वाली बोईसर पहली ग्राम पंचायत

तत्कालीन राज्य सरकार ने फरवरी 2022 को पालघर नगर परिषद और बोईसर ग्राम पंचायत को स्लम पुनर्विकास नीति के दायरे में लाया था । मंत्रिमंडल के निर्णय के बाद आवास विभाग के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा था कि बोईसर एक ग्राम पंचायत है और यह पहली बार है जब किसी ग्राम पंचायत को झुग्गी पुनर्वास के दायरे में शामिल किया गया है। यह एक अत्यधिक औद्योगिक क्षेत्र है और बोईसर ग्राम पंचायत में 46,000 लोग झुग्गी-झोपड़ियों या टीनशेड में रहते हैं।” साथ ही औद्योगीकरण के मामले में बढ़ रहा है और आगे के विकास के लिए उचित योजना की जरूरत है।

बोईसर में आएगी यह समस्या

बोईसर क्षेत्र को फरवरी 2022 में स्लम पुनर्विकास के दायरे में तो ला दिया पर जब क्षेत्रो के डेवलेपमेंट की बारी आएगी तब पूरी तस्वीर सामने आएगी, जैसे यहां पर एक ही व्यक्ति 10 से 20 रुमो की चाल बनाकर उस पर मालिकाना हक जमाए बैठा है । जिसमे कई जगह तो सरकारी भी है जिन पर अवैध तरीके से निर्माण कर उन्हें भाड़े पर देकर कमाई कर रहे है । तब इस योजना के तहत बनने वाले घरों में वास्तविक इसका फायदा उन भूमाफियाओं को मिलेगा या उन गरीबो को जिनके हित के लिए इस शहर को इस योजना में शामिल किया है ।
वैसे तो सामाजिक उद्देश्य को पूरा करने के लिए एसआरए को दी गई अनियंत्रित शक्तियों में वह किसी भी भूमि पर कब्जा कर सकता है ।
एसआरए में बोईसर का समावेश हुए लगभग एक साल पूरा होने वाला है पर अब तक कोई सूंघ नही ली गई है पर जब भी यहां सर्वे होकर काम आगे बढ़ेगा तब भरभर कर जालसाजी, धमकी, रिश्वतखोरी का बोलबाला होगा और फायदा वो ही उठाएगा जिसकी ज्यादा राजनीतिक पहुंच होगी,जिनके हाथ कानून से भी लंबे होंगे मतलब साफ है कि इस औद्योगिक शहर को स्लम पुनर्विकास नीति के दायरे में लाने का फायदा झोपड़पट्टी में रहने वालों से ज्यादा बंगलो में रहने वालों को ही होना है ।

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