राजस्थान के राजसमंद की इस खबर ने सभी के सामने एक अच्छा उदाहरण प्रस्तुत किया है । आधुनिकता और फैशन व हाईफाई के होड़ में आज का युवा वर्ग अपनी मूल वैदिक और सनातन संस्कृति को भूलता जा रहा है ।
पर यह खबर पढ़कर आपको सुखद अनुभव होगा ,जी हां हम आपको ले चलते है राजस्थान के राजसमंद जिले के एक गांव में जहां आज भी संस्कार और सनातन शिक्षा को ना सिर्फ जिंदा रखे हुए, बल्कि साथ साथ उसे भावी पीढ़ी में भी संस्कारित कर रहा है.
न्यूज़ 18 के मुताबिक मिली जानकारी के अनुसार राजसमंद जिले के चारभुजा के पास बसे कसार गांव में हर वर्ष की भांति इस बार भी वैदिक कैंप 21 मई से 5 जून तक चला. यहां पर 20 साल से वेद आधारित शिक्षण संस्कार दिए जाते हैं. अब तक यहां से 7000 से ज्यादा स्टूडेंट्स सनातन संस्कृति की शिक्षा ले चुके हैं. ट्रेनिंग लेने वालों में बीटेक, बीसीए, उच्च शिक्षित लोग, व्यापारी और प्रोफेशनल्स भी शामिल हैं. कसार गांव में 15 दिन के रेजिडेंशियल कैंप में स्टूडेंट्स वेदों का ज्ञान लेते हैं.

यहां पर देश के कोने-कोने से फर्राटेदार इंग्लिश बोलने वाले स्टूडेंट और प्रोफेशनल्स वैदिक मंत्रोच्चार सीखने आते हैं. इस गांव में हर साल 15 दिन के लिए समर कैंप लगता है, फीस है मात्र 300 रुपये. 15 दिन के लिए स्टूडेंट्स वेद, पुराण और सनातन धर्म-संस्कृति की शिक्षा लेते हैं. हजारों साल पहले की आश्रम व्यवस्था को जीते हैं. 15 दिन नंगे पांव रहते हैं. अनुशासित डेली रूटीन फॉलो करते हैं. सात्विक भोजन करते हैं. श्लोक-मंत्र के साथ संस्कार सीखते हैं. खाली समय में मोबाइल गेम खेलना यहां मना है. फील्ड में वॉलीबॉल, फुटबॉल या कबड्डी भले ही खेल सकते हैं.गांव में कोई मोबाइल नेटवर्क नहीं है. शहर और इंटरनेट से दूर 15 दिन तक स्टूडेंट सिर्फ सनातन संस्कृति को जीते हैं. सुबह 5 बजे जागरण होता है, दिनचर्या में संध्या उपासना, योगासन, देवता नमस्कार, भद्रसूक्तम, पुरूषसूक्तम, रूद्रसूक्तम, रूद्राष्टाध्यायी आदि वैदिक मंत्रोच्चार का अध्ययन कराया जाता है. कैंप में 17 गुरुओं की टीम है. ये शिक्षक सनातन वैदिक ज्ञान की शिक्षा स्टूडेंट्स को देते हैं. कैंप में हिस्सा लेने के लिए एक फॉर्म भरवाया जाता है. फीस 300 रुपए है. सीटें भी 300 ही है. सभी छात्रों को सूती धोती पहननी होती है. फैशनेवल कपड़े, जूते, इलेक्ट्रॉनिक आइटम बैन हैं. डेली रूटीन और डाइट तय है. राजस्थान समेत गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और देश के कोने-कोने से अब तक 7000 स्टूडेंट्स वेद अध्ययन कर चुके हैं.वाकई आज की दुनिया टेक्नोलॉजी के पीछे भाग रही इसी बीच इस तरह की शिक्षा और गुरुकुल का मिलना अपने आप मे एक उदाहरण है ।