पालघर : चर्च विवाह प्रमाणपत्र आधार के लिए मान्य नहीं है। यह बात तब सामने आई जब आधार से जुड़े एक मामले में बॉम्बे हाई कोर्ट में याचिका दायर की गई। अब बॉम्बे हाई कोर्ट ने इस याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है।
बाम्बे हाईकोर्ट ने पालघर के एक याचिकाकर्ता की याचिका पर केंद्र से जवाब मांगा है, जिसमें ईसाई महिलाओं को आधार कार्ड में अपना नाम बदलने के लिए चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, क्योंकि चर्च द्वारा जारी विवाह प्रमाण पत्र को वैध दस्तावेज के रूप में मान्यता प्राप्त नहीं है.
जस्टिस डेरे और जामदार ने पिछले हफ्ते एक रोमन कैथोलिक ईसाई मौरिसा अल्मेडा की याचिका पर सुनवाई की. उन्होंने 26 दिसंबर, 2021 को पालघर जिले के अवर लेडी ऑफ मर्सी चर्च, वसई में स्वप्निल से शादी की. पैरिश पुजारी द्वारा एक विवाह प्रमाण पत्र/संबंध रजिस्टर से उद्धरण जारी किया गया था. प्रमाण पत्र को चांसलर, वसई सूबा द्वारा प्रमाणित किया गया था, और उसके बाद नोटरीकृत किया गया था.
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक 31 जनवरी को, मंत्रालय में ईसाई विवाह रजिस्ट्रार ने प्रमाण पत्र को मंजूरी दे दी और उस पर मुहर लगा दी, जैसा कि गृह विभाग ने किया था. उनकी याचिका में कहा गया है कि 14 फरवरी को, वसई आधार केंद्र ने उनके फॉर्म को स्वीकार करने से इनकार कर दिया, यह कहते हुए कि चर्च विवाह प्रमाणपत्र मान्य नहीं है और यह इसे स्वीकार नहीं किया जा सकता है.
