डॉ.कामता नाथ सिंह
नसीराबाद, रायबरेली। पटेल नगर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा के छठवें दिन वृन्दावन से पधारे आचार्य आशुतोष जी द्वारा रुक्मिणी और कृष्ण विवाह का बड़े ही मार्मिक ढंग से वर्णन किया गया। उन्होंने अपनी मधुर अमृतमयी वाणी ने भक्त श्रोताओं को भाव विभोर कर दिया। देवी रुक्मिणी के रूप में कु.अंशिका और भगवान कृष्ण के मनमोहक रूप में कु. कामिनी ने कार्यक्रम की रोचकता में श्रीवृद्धि की। अपने प्रवचन में कथा व्यास आशुतोष जी महाराज ने बताया कि आत्मा की मुक्ति के लिए परमात्मा का चिंतन जरूरी है। जिस तरह गोपिकाओं और राधारानी ने भगवान श्रीकृष्ण को अपने हृदय और मस्तिष्क में बसा लिया था, वैसे ही सभी भक्तों को भगवान के श्रीचरणों मे लगन लगानी चाहिए। निःस्वार्थ भाव से प्रभु के स्मरण से जीवात्मा को मोक्ष मिल जाता है।
आर्त हृदय से जब-जब भगवान को भक्तों ने पुकारा तब-तब वे नंगे पैरों भागकर आए, दर्शन दिये और अपने भक्तों की सहायता की। माँ रुक्मिणी व कृष्ण विवाहोत्सव में सैकड़ों महिलाओं ने परम्परा के अनुसार पौपुजी भी की। फूल चन्द्र पटेल, बुद्धि राम यादव, प्राचार्य रामसरन पटेल, मास्टर राम देव पटेल, राजाराम यादव, गजराज यादव, कमलचन्द, हरिश्चंद्र, करिश्मा, सिवानी, बन्दना, बिकास,उदय भान सिंह, राजेश कुमार,राम सुख आदि सैकड़ों भक्तगणों ने सरस प्रवचन को सुना और भक्तिरस में सराबोर जनमानस के साथ पुण्य लाभ प्राप्त किया।