बैंक धोखाधड़ी मामले में सीबीआई ने एबीजी शिपयार्ड लिमिटेड और उसके तत्कालीन अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक ऋषि कमलेश अग्रवाल समेत अन्य के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया है।
अधिकारियों ने शनिवार को बताया था कि यह मुकदमा भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) की अगुवाई वाले बैंकों के एक संघ से कथित रूप से 22,842 करोड़ रुपये से अधिक की धोखाधड़ी के संबंध में दर्ज किया गया।
अब इसे लेकर खुद SBI का भी बयान आया है। बैंक ने इस पूरे धोखाधड़ी मामले का घटनाक्रम सामने रखा है।
जानिए क्या है स्टेट बैंक का बयान?
स्टेट बैंक ने कहा, “ICIC बैंक के नेतृत्व में 2 दर्जन से अधिक उधारदाताओं ने पैसे दिए थे। कंपनी के खराब प्रदर्शन के कारण नवंबर 2013 में खाता गैर निष्पादित संपत्ति (एनपीए) में तब्दील हो गया था। कंपनी के संचालन को ठीक करने के लिए कई प्रयास किए गए लेकिन सब विफल रहे।
SBI ने जानकारी साझा करते हुए बताया कि मार्च 2014 में सभी उधारदाताओं द्वारा कंपनी ऋण पुनर्गठन (सीडीआर) के तहत खाते की पुनर्रचना की गई थी। शिपिंग उद्योग मंदी के दौर से गुजर रहा था, इसलिए कंपनी का संचालन पुनर्जीवित नहीं हो सका। पुनर्गठन विफल होने के कारण खाते को नवंबर 2013 से जुलाई 2016 में एनपीए के रूप में वर्गीकृत किया गया था। अप्रैल 2018 में उधारदाताओं द्वारा अर्न्स्ट एंड यंग (E&Y) को फॉरेंसिक ऑडिटर के रूप में नियुक्त किया गया था। धोखाधड़ी मुख्य रूप से धन के विचलन, दुरुपयोग और आपराधिक विश्वासघात की रही।
स्टेट बैंक ने यह भी बताया कि आखिर क्यों बैंकों के संघ की तरफ से उसने की मामले में केस दर्ज करवाया। दरअसल, ICIC और IDBI बैंक कंसोर्शियम में पहले और दूसरे अग्रणी ऋणदाता थे। हालांकि, सार्वजनिक क्षेत्र के बैंकों में एसबीआई सबसे बड़ा ऋणदाता था। इसलिए यह तय हुआ कि सीबीआई के पास शिकायत दर्ज एसबीआई कराएगा।
बताया गया है कि CBI के पास पहली शिकायत नवंबर 2019 में दर्ज की गई थी। सीबीआई का अन्य बैंकों के साथ लगातार संपर्क था। वर्तमान में खाता एनसीएलटी संचालित प्रक्रिया के तहत परिसमापन के दौर से गुजर रहा है। एसबीआई ने साफ किया कि किसी भी समय प्रक्रिया में देरी करने का कोई प्रयास नहीं किया गया।
गौरतलब है कि इस मामले में एजेंसी ने कमलेश अग्रवाल के अलावा एबीजी शिपयार्ड के तत्कालीन कार्यकारी निदेशक संथानम मुथास्वामी, निदेशकों- अश्विनी कुमार, सुशील कुमार अग्रवाल और रवि विमल नेवेतिया और एक अन्य कंपनी एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड के खिलाफ भी कथित रूप से आपराधिक साजिश, धोखाधड़ी, आपराधिक विश्वासघात और आधिकारिक दुरुपयोग जैसे अपराधों के लिए मुकदमा दर्ज किया। उन्होंने बताया कि इन लोगों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मुकदमा किया गया है।
किस बैंक का कितना बकाया?
बैंक बकाया
आईसीआईसीआई 7,089 करोड़ रुपये
आईडीबीआई 3,634 करोड़ रुपये
स्टेट बैंक आफ इंडिया 2,468.51 करोड़ रुपये
बैंक ऑफ बड़ौदा 1,614 करोड़ रुपये
पीएनबी 1244 करोड़ रुपये
आईओबी 1,228 करोड़ रुपये
सीबीआई की एफआईआर के अनुसार घोटाला करने वाली दो प्रमुख कंपनियों के नाम एबीजी शिपयार्ड और एबीजी इंटरनेशनल प्राइवेट लिमिटेड हैं। दोनों कंपनियां एक ही समूह की हैं। कंपनियों पर आरोप है कि घोटाले किए गए पैसे को विदेश में भेजकर अरबों रुपये की प्रॉपर्टी खरीदी गईं। 18 जनवरी 2019 को अर्नस्ट एंड यंग एलपी द्वारा दाखिल अप्रैल 2012 से जुलाई 2017 तक की फोरेंसिक ऑडिट रिपोर्ट की जांच में सामने आया है कि कंपनी ने गैरकानूनी गतिविधियों के जरिये बैंक से कर्ज में हेरफेर किया और रकम ठिकाने लगा दी है ।