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जख्मियों को निजी एम्बुलेंस से किया जा रहा मुंबई-गुजरात रिफर
मुंबई-अहमदाबाद राष्ट्रीय राजमार्ग पर आईआरबी द्वारा यात्रियों से टोल वसूली तो बड़ी तत्परता से की जाती है,लेकिन उसकी एवज में दी जाने वाली यात्री सुविधाएं सिर्फ कागजों तक ही सिमट कर रह गई हैं। जबकि हाइवे पर वसूली के एवज में उन्हें कुछ सुविधाएं भी मुहैया कराने की गाइड लाइन है। मसलन सड़क पर यात्रा करते समय अगर कहीं आपकी गाड़ी खराब होती है तो उसे टोल कर्मचारियों द्वारा मुफ्त में मरम्मत स्थल तक पहुंचाना है। इसके अलावा अगर किसी कारणवश दुर्घटना होती है तो यात्री को मेडिकल सुविधा मुहैया कराने के लिए मुफ्त में एंबुलेंस मिलती है। लेकिन पालघर के मनोर- चारोटी-तलासरी इलाको में कई ऐसी दुर्घटनाएं हुई है। जिसमें आरोप है,कि आईआरबी द्वारा जख्मियों को जरूरी सुविधाएं उपलब्ध नही करवाई गई। बीते शनिवार को पुणे से गुजरात की ओर जा रही एक कार तवा इलाके में दुर्घटनाग्रस्त हो गई। जिसमे दो लोगों की मौत हो गई और तीन अन्य लोग गंभीर रूप से जख्मी हो गए। आरोप है,कि जब इन जख्मियों को ट्रामा सेंटर ले जाने के लिए एंबुलेंस मांगी गई,तो आईआरबी के अधिकारियों ने साफ कह दिया कि उन्हें आदेश है,कि वह जख्मियों नजदीकी अस्पताल तक ही ले जाये। जिसके बाद जख्मियों को निजी एंबुलेंस से मुंबई ले जाया गया। इस दौरान तीनो जख्मी घंटो तड़पते रहे। इससे सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है कि टोल देने के बाद हाइवे से गुजरने वाले लोगो को सुविधाएं देने के नाम पर सिर्फ कागजी खाना पूर्ति की जा रही है। ऑल इंडिया चालक मालक वाहन महासंघ के मुंबई-गुजरात हाइवे के प्रवक्ता हरवंश सिंह ने आरोप लगाया कि जख्मी तड़पते रहते है और आईआरबी की एम्बुलेंस उन्हें नजदीकी अस्पताल में छोड़कर चली जाती है। जबकि गंभीर रूप से घायलो को नजदीकी ट्रामा सेंटर तक ले जाने का प्रवधान है। एक जानकारी के मुताबिक पिछले साढ़े तीन साल में हाइवे पर 380 हादसों में 335 लोग जख्मी हुए है। और 57 लोगों की जान गई है।
आईआरबी की एम्बुलेंस घायलो को नजदीक के अस्पताल तक ले जाती है। ऐसा हमारे कॉन्टेक्ट में शामिल है।
अनिल निमोनकर,सुरक्षा अधिकारी आईआरबी
