शिवशंकर शुक्ल
मुंबई : कल मोदी मंत्रिमंडल के मंत्री नारायण राणे की गिरफ्तारी कर जिस तरह भारतीय जनता पार्टी की किरकिरी हुई है उस से राज्य नेतृत्व को लेकर कार्यकर्ताओं के मन में तीव्र असंतोष फ़ैल गया है. देवेंद्र फडणवीस ,चंद्रकांत पाटिल और मगल प्रभात लोढ़ा के नेतृत्व में राज्य भाजपा बेहद कमजोर दिखाई दे रही है. इन सबने मिलकर पार्टी की तेज तर्रार छवि को कुंठित कर दिया है. इतना ही नही आज पार्टी फेसबुकिया,व्हाट्सएप और चमकेश नेताओं की जमात भर रह गयी है. यह कहना है हिंदी सांध्य दैनिक निर्भय पथिक के सम्पादक श्री अश्विनीकुमार मिश्र का , श्री मिश्र जी का यह भी कहना है कि कल के घटनाक्रम में आयातीत नेता,प्रवीण दरेकर,प्रसाद लाड की औकात सामने आ गयी. ये सभी मिलकर कुछ घंटों तक भी आंदोलन नहीं टिका पाए. इसके अलावा कहाँ गयी युवा मोर्चा की तिवाना की टीम. सब टीवी पर अपने नेता की गिरफ़्तारी का तमाशा देख रहे थे. इसके अलाबा यह भी कहा कि मुंबई और महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी की वही दुर्दशा हुई जो बंगाल में ममता बनर्जी ने पीट पीटकर कर दी है. . वहां भी 78 सीट जिताने के लिए 200 कार्यकर्ताओं की बलि और आज भी कार्यकर्ता ममता सरकार की प्रताड़ना के शिकार हैं.कल संगमेश्वर से लेकर महाड में जो कुछ हुआ और भाजपा कार्यालय पर जब पथराव हुआ उसके बाद भी भाजपा
की ओर से निषेध करने का कोई कार्यक्रम घोषित नहीं हुआ है.इस से लगता है कि विश्व की सबसे बड़ी पार्टी के नेता मतलबी और कमजोर है. भाजपा की वर्तमान टीम ने मुंबई के दिग्गज नेताओं-विनोद तावड़े,राज पुरोहित,प्रकाश मेहता,किरीट सोमैया सहित कई नेताओं को घर बैठा दिया है. साफ़ दिखता है कि वर्तमान नेतृत्व उन्हें जबरन नजरअंदाज कर रहा है. आगे यह भी कहा है कि भारतीय जनता पार्टी को तो वर्षों तक विपक्ष में रहकर आंदोलन। करने का अनुभव है,लेकिन आश्चर्य है कि
नारायण राणे प्रकरण में न तो युवा मोर्चा और न फेसबुक और व्हाट्सएप पर चमकने वाले एक भी नेता फील्ड में नजर आये. अगर राणे पुत्र नीतेश और नीलेश ने मोर्चा नहीं संभाला होता तो राज्य भर के भाजपा कार्यालय धू- धूकर जल रहे होते. वरिष्ठ पत्रकार श्री मिश्र जी ने भाजपा को चेताया कीआज का भाजपा नेतृत्व समझ ले संस्कार की दुहाई देकर कार्यकर्ताओं के लिए खड़ा न होना पार्टी का मनोबल तोड़ देगा. कल जो कुछ भी सडकों पर दिखा वह राणे परिवार बनाम शिवसेना का युद्ध था. उसमें भारतीय जनता पार्टी कहां थी? यह सोचने का समय है. अगले साल मनपा के चुनाव तक पार्टी संगठन मजबूत नहीं किया तो फिर महापालिका से शिवसेना को हटाने का सपना भूल ही जाना बेहतर होगा.