मुंबई: अंबानी के घर के बाहर विस्फोटक से भरी कार के मालिक मनसुख हिरेन हत्याकांड में बड़ा खुलासा सामने आया है। मीडिया से मिली जानकारी के अनुसार, 2 मार्च को पुलिस मुख्यालय में मनसुख को मारने की साजिश रची गई थी। पता चला है कि उस समय वाजे के साथ 2 अन्य लोग मीटिंग में मौजूद थे। मनसुख की हत्या की साजिश में 11 या उससे ज्यादा लोग शामिल हो सकते हैं। गिरफ्तार कॉन्स्टेबल शिन्दे के सामने मनसुख की हत्या की गई और जिस 3 अन्य लोग कार में बैठकर यह सबकुछ देख रहे थे।
महाराष्ट्र ATS ने टेक्निकल सहारा लेते हुए सबसे पहले जांच की शुरुआत की कि उस दिन रात 8 से 8.30 के बीच मनसुख को आखिरी व्हाट्सअप कॉल किसने किया था।फिर जो टीम व्हाट्सअप काल डिटेल निकालने में लगी थी, उसे वो आखिरी व्हाट्सअप नम्बर हाथ लगा, जिसके जरिये मनसुख को आखिरी कॉल किया गया था।
जिसमे तावड़े नाम का इस्तेमाल करके बुलाया गया था मनसुख को,नम्बर मिलने के बाद ATS ने उस शख्स को खोजना शुरू किया, जिसकी पहचान तावड़े (आखिरी कॉल की) के रूप में हुई। उसके बाद पता चला कि नम्बर गुजरात का है। ATS ने उस जगह जाकर रेड की और बुकी नरेश गोरे को गिरफ्तार किया गया, उसके पास 15 सिम कार्ड थे, जिसमें से कुछ वाजे को दिए थे। उसमें से एक सिम कार्ड विनायक शिंदे (पुलिस कॉन्स्टेबल लखन भैया केस) को दिए थे, जिसके जरिये शिंदे वाजे से बात करता था। उन्हीं में से एक सिमकार्ड से शिंदे ने मनसुख को आखिरी कॉल किया था और पहचान तावड़े बताई थी। लेकिन सवाल ये कि मनसुख ने किसी अज्ञात नम्बर से आए कॉल को कैसे पहचान लिया कि ये तावड़े कौन है।