पालघर : जिले के विभिन्न विकास कार्यों के लिए राज्य और केंद्र सरकार से प्राप्त धनराशि कई वर्षों से खर्च नहीं होने का मामला इस वर्ष भी सामने आया है। दिलचस्प बात यह है कि इससे पहले 2020-21 में 37 करोड़ से ज्यादा की धनराशि वापस की गई थी और अब इस साल फिर से बची हुई राशि वापस मंगाई जा रही है। राज्य में अधिकांश जिला परिषदों के फंड को सरकार द्वारा विकास कार्यों के लिए मंजूरी दी जाती है। इसके लिए सभी जिला परिषदों को योजना बनानी होती है।
विकास कार्यों सहित सार्वजनिक सुविधाओं की योजना के लिए पालघर जिला परिषद के विभिन्न तंत्रों को फंडिंग मंजूरी से पहले संशोधित किया जाता है। लेकिन वित्तीय साल के अंत में विभिन्न कारणों से यह फंड खर्च नहीं हो पाता है, हालांकि सरकार जिला परिषद को दो साल तक इस तरह के फंड को खर्च करने की इजाजत देती है, लेकिन पालघर जिले ऐसा देखने को मिल रहा है कि जनप्रतिनिधि और प्रशासनिक व्यवस्था दोनों ही नाकाम रही व जिले के विकास ले लिए मिली राशि इस साल में भी खर्च नहीं हो पाई इसके लिए जिम्मेदार हैं.
2021-22 में 5 करोड़ 73 लाख 22 हजार रुपये नही हुए खर्च
वर्ष 2021-22 आदिवासी उपयोजना के तहत जिला परिषद के निर्माण विभाग के एक करोड़ 14 लाख 13 हजार रुपये, स्वास्थ्य खाता एक करोड़ 20 लाख 18 हजार रुपये, कृषि विभाग 82 लाख 47 हजार रुपये, जलापूर्ति खाता 1 करोड़ 39 लाख 29 हजार रुपये, महिला बाल कल्याण विभाग 6 लाख 68 हजार रुपये, शिक्षा विभाग 32 लाख 55 हजार रुपये, पशुपालन विभाग 43 लाख 94 हजार रुपये सभी को मिलाकर ये धनराशि 5 करोड़ 73 लाख 22 हजार रुपये की राशि खर्च नहीं की गई है और इसे जनविधि के लिए सरकार को वापस भेजना होगा।
2021- 22 में 4 करोड़ 11 लाख 51 हजार रुपये नही हुए खर्च
जिला परिषद में सामान्य वित्तीय वर्ष में जिला वार्षिक योजना 2021- 22 के तहत शिक्षा विभाग का दो करोड़ 59 लाख 20 हजार रुपये व पशुवर्धन,स्वास्थ्य,बांधकाम सभी विभाग का मिलाकर 4 करोड़ 11 लाख 51 हजार रुपये का फंड खर्च नहीं होने के कारण वापस जाएगा.
जिले के बड़े भाग पर जिला परिषद का नियंत्रण
ठाणे जिले के विभाजन के बाद पालघर जिले के गठन के नौ साल बाद इस आदिवासी बहुल जिले के अधिकांश ग्रामीण इलाकों पर जिला परिषद का नियंत्रण है और चूंकि 100% पैसा विकास कार्यों और सार्वजनिक सुविधाओं पर खर्च नहीं किया जाता है, इसलिए हर साल राज्य सरकार से लगातार अपील की जाती रही है जिला परिषद को विकास कार्य के लिए यह राशि सरकार को लौटानी है. जिला परिषद हमेशा बमबाजी करती रहती है लेकिन काम पर ध्यान नही दिया व धनराशि खर्च नहीं होने के कारण वापस कर देती है.जाहिर है कि फंड जाने के पीछे अधिकारियों और प्रशासनिक उदासीनता है यद्यपि पालघर जिले में अनुसूचित जातियों की संख्या महत्वपूर्ण है, लेकिन उनके कल्याण के लिए पर्याप्त धन खर्च नहीं किया जाता है, उनके विकास के लिए कृषि, समाज कल्याण, पशुपालन, महिला और बाल विभाग के माध्यम से विभिन्न विभागीय विकास कार्य और जन कल्याण योजनाएं दी जाती हैं। यह स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है कि विशेष घटक को भी इस योजना का लाभ नहीं दिया जाता है अथवा उनके लिए विकास कार्य नहीं किये जाते हैं ये टेंडर इन विकास कार्यों के लिए भरे जाते हैं, जिनमें कम रेट, कम बजट की बाध्यता, काम न करना और अन्य कारणों से टेंडर भरे जाते हैं पर यह फंड खर्च नहीं हो पाता है। निधि का नियंत्रण एवं नियोजन तथा कार्य की निगरानी जिला परिषद की जिम्मेदारी है। जन प्रतिनिधियों को इस व्यवस्था के साथ जाना चाहिए और नेताओं को इनके कारणों और उनके उपायों का पता लगाना चाहिए। लेकिन जनसुविधाओं पर खर्च करने के बजाय जनता का पैसा वापस जा रहा है। इसलिए, जब से इसकी स्थापना हुई है पालघर जिला परिषद पर इस तरह के फंड की वापसी को इस जिला परिषद की बड़ी विफलता बताया जा रहा है.
सामान्य जिला वार्षिक योजना आदिवासी उपयोजना विशेष घटक योजना अव्ययित धनराशि का विवरण वित्तीय वर्ष 2020- 21 प्राप्त अनुदान 157 करोड़ 45 लाख 29 हजार, कुल व्यय 118 करोड़ 9 लाख 37 हजार, लौटाई गई निधि (अव्ययित) 37 करोड़ 87 लाख 63 हजार रु.
वित्तीय वर्ष 2021 -22 अनुदान प्राप्त 133 करोड़ 56 लाख 65 हजार, कुल व्यय 123 करोड़ 16 लाख 22 हजार, लौटाया गया फंड (बिना खर्च हुआ) दस करोड़ 40 लाख 43 हजार रुपये।
वित्तीय वर्ष 2020-21 में पालघर जिला परिषद का 37 करोड़ 87 लाख 63 रु.की धनराशि सरकार के पास वापस चली गई , इसमें सामान्य जिला परिषद वार्षिक योजना के लिए 12 करोड़ 31 लाख 84 हजार रुपये और जनजाति उपयोजना के लिए 24 करोड़ 90 लाख 59 हजार रुपये और जिला विशेष घटक योजना के लिए 65 लाख 20 हजार रुपये शामिल हैं. यह निधि. पालघर जिला परिषद और जिले की कुल विकास निधि का लगभग 50% कई वर्षों से निर्माण में खर्च नहीं किया गया है। मार्च की शुरुआत में प्रेस कॉन्फ्रेंस में इसका जिक्र करने के बाद उन्होंने पत्रकारों से कहा था कि हम गारंटी दे रहे हैं कि इस साल का फंड पूरा खर्च किया जाएगा, लेकिन ऐसा लगता है कि पालघर जिला परिषद ने इस साल भी पालक मंत्री की गारंटी को नजरअंदाज कर दिया है.