पालघर लोकसभा सीट कभी कांग्रेस का रह चुकी गढ़,पर बदलते हालात में देखने को मिले कई उलटफेर,जानिए क्या कहते है 2024 के समीकरण…..

by | Aug 18, 2023 | पालघर, महाराष्ट्र, वसई विरार

पालघर : 9 फरवरी 2008 को सीटों के परिसीमन के बाद डहाणू (सुरक्षित) लोकसभा क्षेत्र के स्थान पर पालघर निवार्चन क्षेत्र अस्तित्व में आया था। लंबे समय तक डहाणू की सीट कांग्रेस का गढ़ मानी जाती रही है। हालांकि एकबार (1977) सीपीएम के शिवदेव कोम और (1996) बीजेपी के चिंतामण वनगा व उपचुनाव में राजेंद्र गावित भी यहां से लोकसभा में जा चुके हैं। डहाणू लोकसभा क्षेत्र का पहला चुनाव 1967 में हुआ था, जब जव्हार के आदिवासी राज घराने के यशवंतराव मुकणे कांग्रेस के टिकट पर विजयी हुए थे। उन्होंने दो बार यहां का प्रतिनिधित्व किया। 1980 के चुनाव में कांग्रेस के दामोदर शिंगडा विजयी हुए और लगातार चार बार इस क्षेत्र के सांसद रहे।

पालघर का पहला लोकसभा चुनाव
परिसीमन के बाद पालघर लोकसभा क्षेत्र का पहला चुनाव 2009 में हुआ। कांग्रेस ने तब दामोदर शिंगडा को मैदान में उतारा था, मगर क्षेत्र में प्रभावशाली बहुजन विकास आघाडी ने, जो उस समय तक कांग्रेस के साथ खड़ी थी, शिंगडा की उम्मीदवारी का विरोध किया। आघाडी के नेता हितेंद्र ठाकुर ने आखिरी मौके पर ऐलान किया कि अगर कांग्रेस अपना उम्मीदवार नहीं बदला, तो आघाड़ी अपना अलग उम्मीदवार उतारेगी। और ऐसा ही हुआ। नामजदगी के आखिरी दिन आघाड़ी ने बलिराम जाधव को मैदान में उतार दिया। जाधव बीजेपी के चिंतामण वणगा को 12,360 मतों से पराजित कर सांसद चुने गए। अब तक क्षेत्र में अपनी पकड़ बनाए रखने वाली कांग्रेस इस चुनाव में तीसरे स्थान पर रही।

वोटो का समीकरण
वैसे पालघर लोकसभा क्षेत्र में वर्तमान स्थिति में भाजपा-शिवसेना व बहुजन विकास आघाडी की पकड़ अच्छी है । पालघर लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 6 विधानसभा क्षेत्र आते हैं. इनमें से विक्रमगढ़ को छोड़कर डहाणू, पालघर, बोईसर, नालासोपारा और वसई में बड़ी संख्या में हिंदी भाषी मतदाता हैं. बीजेपी व बहुजन विकास आघाडी अपने चुनावी अभियान में इन मतदाताओं पर फोकस करती है. इन 6 विधानसभा सीटों में से एक-एक पर एनसीपी,माकपा, एक पर शिवसेना और तीन पर बहुजन विकास आघाडी के विधायक हैं. इस हिसाब से देखा जाए, तो बहुजन विकास आघाडी की ताकत ज्यादा है, हालांकि बहुजन विकास आघाडी को लोकसभा चुनाव के मद्देनज़र क्षेत्रीय पार्टी होने का नुकसान हो सकता है.लोकसभा चुनाव में अकसर देखा गया है कि राज्य की सत्ताधारी पार्टी भी लोकसभा में सीटे नही निकाल पाती है । बता दें कि पालघर लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आनेवाले कई विधानसभा क्षेत्र पहले उत्तर मुंबई लोकसभा क्षेत्र के हिस्सा रहे हैं और इस सीट से पहले बीजेपी के राम नाईक पांच चुनाव जीत चुके है.
पालघर लोकसभा क्षेत्र में कुल मतदाताओं की संख्या में से करीब 25 फीसदी मतदाता हिंदी भाषी हैं. इनमें उत्तरप्रदेश, बिहार, राजस्थान और गुजरात के लोग शामिल हैं. जिसमे व्यापारी व बहुसंख्य मतदाता श्रमिक वर्ग के हैं. जिनका सीधा जुड़ाव भाजपा व बहुजन विकास आघाडी से है ।

जिताऊ उम्मीदवारों का टोटा
पालघर लोकसभा सीट आरक्षित है,इस सीट पर सभी पार्टियों के पास जिताऊ चेहरे का अभाव है । जिसके चलते उपचुनाव में भाजपा को कांग्रेस से राजेन्द्र गावित को लेना पड़ा,फिर पिछले चुनाव में शिवसेना को जरूरत पड़ी तो उन्ही गावित को मैदान में शिवसेना से उतारना पड़ा जिनके खिलाफ उपचुनाव में जमकर प्रचार किया था ।
2024 लोकसभा चुनाव से पहले महाराष्ट्र की राजनीति में बड़ा बदलाव हो चुका है ,अब भाजपा,शिवसेना (शिंदे) व राष्टवादी कांग्रेस (अजित गुट) एक हो चुके है वही दूसरी तरफ कांग्रेस,उद्धव ठाकरे शिवसेना व शरद पवार गुट है तो तीसरा पक्ष बहुजन विकास आघाडी का झुकाव किस तरफ रहता है यह महत्वपूर्ण है । अब देखना यह है कि क्या शिंदे गुट से पुनः गावित को मैदान में उतारा जाएगा या इस सीट पर भाजपा कोई अपना उम्मीदवार उतारेगी । इस विषय पर लोगो का मन टटोलने की कोशिश की तो उसमें भाजपा से संतोष जनाठे,शिवसेना से राजेन्द्र गावित व बहुजन विकास आघाडी के विधायक राजेश पाटिल का भी नाम लोगो ने बताया की ये संभावित चेहरे हो सकते है ।

पालघर सीट को लेकर भाजपा की तैयारी
केंद्र सरकार की विभिन्न योजनाएं आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग तक पहुंचे और जिले के विकास कार्यों को ध्यान में रखते हुए केंद्र सरकार द्वारा उपेक्षित मामलों को पूरा करने के लिए भाजपा लोक सेवा आयोग को लागू किया है. राज्य के 16 लोकसभा क्षेत्रों में लोकसभा प्रभाग योजना बनाई गई है इसमें पालघर लोकसभा क्षेत्र को शामिल किया गया है और इस क्षेत्र में प्रवास के तौर पर दो केंद्रीय मंत्री पालघर दौरे पर आए जिन्होंने क्षेत्र का जायजा लिया । लोकसभा प्रवास यात्रा के दौरान पालघर लोकसभा क्षेत्र के दौरे पर केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर एवं केंद्रीय राज्य मंत्री माननीय विश्वेश्वर टुडू को जिम्मेदारी दी गई है ।

मनसे भी ठोकेगी ताल
महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना ने आगामी लोकसभा चुनावों के लिए तैयारी शुरू कर दी है और चार सीटों पर चुनाव लड़ने का फैसला किया है, जिनमें से तीन ठाणे (Thane) जिले में और एक पालघर सीट है.अब मनसे अपने वोट के अलावा दूसरे के वोटों में भी सेंधमारी करेगी ।

2019 के चुनाव में शिवसेना-भाजपा ने मारी बाजी
शिवसेना-बीजेपी के गठबंधन होने से पहले इसी सीट के लिए मामला अटक गया था. दोनों ही पार्टियां इस सीट पर दावा कर रहे थे मगर अंत में शिवसेना के दबाव के आगे बीजेपी को ये सीट छोडनी पड़ी. वैसे शिवसेना के उम्मीदवार राजेंद्र गावित पिछले साल ही बीजेपी के टिकट पर पालघर से उप-चुनाव जिते थे. वह पहले कांग्रेस में थे और राज्य सरकार में मंत्री भी रहे थे. उसके पहले पालघर लोकसभा सीट बीजेपी सांसद चिंतामन वनगा के निधन के कारण रिक्त हो गयी थी. उपचुनाव में बीजेपी और शिवसेना ने एक दूसरे के खिलाफ उम्मीदवार उतारे थे. 2019 में गावित का मुकाबला बहुजन विकास अघाड़ी से बलिराम जाधव से था, पालघर में बहुजन विकास अघाड़ी-कांग्रेस और एनसीपी के बीच गठबंधन था ।

नोटा के वोटों का बना रिकॉर्ड
वैसे चुनाव में कई तरह के रिकॉर्ड बनते है ऐसा ही 2019 लोकसभा चुनाव में पालघर सीट पर देखने को मिला. पालघर जिले में कुल 29,479 वोट नोटा को मिला. गढ़चिरौली लोकसभा में 24, 599 मतदाताओं ने नोटा का इस्तेमाल किया जो कि रिकॉर्ड है.

उपचुनाव में भाजपा-सेना आमने सामने
यहां हुए लोकसभा उपचुनाव में बीजेपी ने कड़े मुकाबले में जीत हासिल की. राजेंद्र गावित सांसद बने. उन्होंने शिवसेना के श्रीनिवास चिंतामन वनगा को चुनाव हराया. इस चुनाव में दिलचस्प बात यह रही कि जो बीजेपी और शिवसेना 2014 में गठबंधन में चुनाव लड़ी थी वो पालघर उपचुनाव में आमने-सामने हो गई थी।

2014 चुनाव परिणाम
इसके पहले 2014 के लोकसभा चुनाव में यहां से सांसद चिंतामन वनगा चुनाव जीते थे. उन्होंने बहुजन विकास आघाड़ी के बलिराम जाधव को चुनाव हराया था. इस चुनाव में चिंतामन वनागा ने 5,33,201 वोट हासिल किए. जबकि बलिराम जाधव को 2,93,681 वोट मिले.

2009 चुनाव परिणाम
वहीं, 2009 के लोकसभा चुनाव की बात की जाए तो बहुजन विकास आघाड़ी से बलिराम जाधव जीते थे. उन्होंने चिंतामन वनागा को चुनाव हराया था.

पालघर लोकसभा सीट का इतिहास…
परिसीमन के पहले पालघर लोकसभा क्षेत्र डहाणू के तहत आता था, जबकि वसई-विरार का क्षेत्र उत्तर मुंबई लोकसभा का हिस्सा था. डहाणू लोकसभा की बात की जाए तो यहां 1967 में यशवंतराव मार्तण्डराव मुकने चुनाव जीतकर संसद पहुंचे. उनके बाद 1977 में कोम शिवदवा कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ़ इंडिया (M) से चुनाव जीते. फिर कांग्रेस के दामोदर शिंगदा लगातार 1980, 1984, 1989 और 1991 में चुनाव जीते. फिर बीजेपी के चिंतामन वनगा 1996 में यहां जीत का परचम लहराने में कामयाब रहे. 1998 में शंकर सखाराम कांग्रेस से जीते. 1999 में चिंतामन वनगा बीजेपी से जीते. 2004 में दामोदर बर्कू शिंगदा जीतने में कामयाब रहे.

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