पालघर | सोया रहा पूरा सरकारी तंत्र,ठगों ने जाली कागजों पर खड़ी की 55 बिल्डिंगे, रेरा ने भी लगा दी मुहर,बिल्डरों ने भी बेच दिए फ्लेट,बैंको ने भी दे दिया लोन …पढ़े हैरान कर देने वाली ठगी की ये कहानी

by | Aug 10, 2023 | पालघर, महाराष्ट्र, वसई विरार

महाराष्ट्र के पालघर जिले का यह मामला न सिर्फ हैरान कर देने वाला है बल्कि सरकारी विभागों पर भी सवाल खड़े हो गए है ।यहां ठगों की मदद से बिल्डिरों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 55 इमारतें बना दीं और किसी सरकारी अधिकारी को इसकी भनक तक नहीं लगी. यहीं नहीं, इन इमारतों के निर्माण को लेकर रेरा (RERA) से मंजूरी भी मिल गई. रुद्राक्ष नाम की इमारत से इस ठगी की कहानी का खुलासा हुआ है. इस मामले में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ्तार किया है.

जानिए पूरा मामला…

पालघर जिले में ठगी करने का चौंकाने वाला मामला सामने आया है.जिले के वसई विरार में फर्जी दस्तावेजों के आधार पर 55 इमारतों का निर्माण करा दिया गया. पुलिस को जांच में पता चला कि फर्जी स्टांप, लेटरहेड, नगर पालिका, कलेक्टर सिडको और माध्यमिक पंजीकृत कार्यालयों के अनुबंधों का उपयोग करके दस्तावेज बनाए गए हैं.यह मामला सामने आते ही सभी के हाथ-पैर फूलने लग गए है ।

फर्जी स्टैम्प, 600 फर्जी लैटर हेड और सिडको के 500 लेटर पैड़ बरामद

मीडिया रिपोर्ट्स से मिली जानकारी के अनुसार,ठगों ने फर्जी नगर निगम के लेटरहेड पर निर्माण अनुमति (CC), फर्जी संयुक्त समापन प्रमाणपत्र (PPC) और फर्जी अधिभोग प्रमाणपत्र (OC) तैयार किया कर बिल्डरों को मुहैया कराया गया था. बिल्डर इन फर्जी दस्तावेजों के आधार पर ही इमारत खड़ी कर दिए. आरोपियों के पास से कुल 115 विभागों से जुड़े स्टैम्प, 600 फर्जी लैटर हेड और सिडको के 500 लेटर पैड बरामद किए गए हैं.इतना ही नही पुलिस भी हैरान हो गई जब उनके पास से नक्शा, स्टैम्प बनाने की मशीन, प्रिंटर और कंप्यूटर भी जब्त किए

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पैसे के बदले जो मांगो वो मिल जाता था आरोपियों के पास

आरोपी विभिन्न विभागों की फर्जी मोहरें तैयार करते थे और इसे बिल्डरों को मोटी कीमत पर उपलब्ध कराते थे. विरार (Virar) पुलिस ने इस मामले में 5 लोगों को गिरफ्तार किया है, जिनके नाम मछिंद्र वनमाने, दिलीप अदखले, प्रशांत पाटिल, दिलीप बेनवंशी और राजेंद्र नाइक है.

रेरा जैसी संस्था भी गुमराह?

इन आरोपियों ने फर्जी दस्तावेजों के आधार पर सेकेंडरी रजिस्ट्रार के यहां रजिस्ट्रेशन कराकर रेरा के तहत मंजूरी हासिल कर ली थी.यानी कि रेरा (RERA) जैसी संस्था को भी गुमराह किया गया था.

इमारतों से जुड़े बिल्डरों पर भी कसेगा शिकंजा

विरार पुलिस ने मीडिया को बताया कि आरोपियों के पास से आर्किटेक्ट और वकील आदि के भी 93 नकली स्टांप भी बरामद किए गए हैं. साथ ही विभिन्न डेवलपर्स के 22 नकली रबर स्टांप की भी बरामदगी की गई है. इनके पास से 55 इमारतों की फाइलें मिली हैं. पुलिस को इमारतों का निर्माण फर्जी दस्तावेजों के आधार पर होने का शक है. ऐसे में इन 55 इमारतों से जुड़े बिल्डर भी पुलिस की रडार पर हैं.

सरकारी तंत्रो पर सवालिया निशान

एक नही,दो नही बल्कि 55 इमारते खड़ी कर दी फर्जी दस्तावेजों के आधार पर कोई विभाग पकड़ नही पाया यह वाकई हैरान कर देने वाला मामला है । मनपा से लेकर सम्बंधित हर विभाग की पोल खोल कर रख दी है इस मामले ने ।

क्या दिल्ली के ट्विन टॉवर की तरह गिराई जाएगी ये इमारते

दिल्ली सुपरटेक ट्विन टावर्स की कीमत करीब 200-300 करोड़ रुपये थी। सुपरटेक के इन टावरों को निर्माण संबंधी नियमों का पालन न करने के कारण सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर तोड़ा गया था । तो पालघर की यह 55 इमारते तो सभी नियम ही ताक पर रखकर नही बल्कि बिना अनुमति व जाली दस्तावेजो के आधार पर खड़ी की गई है तो सवाल लाजमी है कि इन्हें गिराया जाएगा या कागजो से पैदा हुआ यह मामला कागजो में ही दब जाएगा ।

3000 हजार करोड़ का घोटाला,3500 परिवार ठगी के शिकार

विरार पुलिस स्टेशन के एक अधिकारी ने मीडिया को कहा, ”पूरी बिक्री बिल्कुल स्पष्ट दिख रही थी, और रेरा मंजूरी के साथ, कई प्रतिष्ठित बैंकों ने आसानी से ऋण की पेशकश की, जिससे निवेशकों के मन में कोई संदेह नहीं रहा।” साथ ही यह जानकारी भी सामने आई कि पहला संपत्ति घोटाला है जहां बिल्डरों द्वारा कुल संग्रह 3,000 करोड़ रुपये है। लगभग 3,500 परिवार इस घोटाले के शिकार हैं, कथित तौर पर निर्माण और स्वामित्व प्रक्रिया में जिला कलेक्टर, ठाणे और पालघर, अतिरिक्त कलेक्टर जवाहर; आयुक्त वीवीएमसी; उपायुक्त और नगर नियोजन वीवीएमसी; सिडको; रेरा प्राधिकरण और आयकर विभाग इन एजेंसियों को इसकी जानकारी नहीं थी ।

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