बोईसर : 14 फरवरी सिर्फ प्रेमी-प्रेमिका से ही नहीं बल्कि माता-पिता से भी प्यार जताने का भी दिन होता है. 14 फरवरी को देशभर में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जा रहा है. स्कूलों-कॉलेजों में इसके लिए विशेष आयोजन किए जा रहे हैं. कई संस्थाए इसके लिए युवाओं को जागरूक कर रहे हैं.
अपने संस्कृति को बढ़ावा देने के लिए हिन्दू धर्म में मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाने का प्रचलन है. माता पिता के त्याग और उनके कार्यो को सम्मान देने के लिए मातृ-पितृ पूजन दिवस मनाया जाता है.
माता-पिता की पूजा दिवस को मातृ पितृ पूजन दिवस के रूप में जाना जाता है. पितृ पूजन दिवस हर साल 14 फरवरी को मनाया जाता है. यह दिन माता-पिता को सम्मान, प्यार और देखभाल देने के लिए समर्पित है, जिसके वे हकदार हैं. माता-पिता के लिए सच्चे प्यार को सन्मान देने के लिए वेलेंटाइन को बायकॉट कर उससे भी ज्यादा शुद्धतम रूप में माता-पिता का पूजन कर मानव हृदय में एक सामाजिक जागृति लाने के लिए यह पहल शुरू बोईसर में शुरू की गई है ।

बोईसर शहर के शीतल नगर में पहली बार माता-पिता दिवस मनाया गया,जिसमे बेटे,बेटियों द्वारा माता पिता का पूजन किया गया । एक साथ मे सामूहिक रूप में सुंदर सजी हुई थाली से माता-पिता की आरती उतारी गई ये पल देखने लायक थे । समाजसेवी अजित गुप्ता ने बताया की सोमवार शाम को आयोजित इस भव्य कार्यक्रम में बड़ी संख्या में लोगो ने भाग लिया ।
भारतीय संस्कृति में माता-पिता को भगवान से बड़ा माना जाता है. हिन्दू संस्कृति में हम अपने माता पिता की पूजा करते है. माता-पिता ने हमारे पालन-पोषण में कितना कष्ट उठाया है. हमारे लिए कितना त्याग किया है. इनकी पूजा-अर्चना व सेवा करने से छोटे-से-छोटा व्यक्ति भी महान बन जाता है. मंदिर में तो पत्थर की मूर्ति में भगवान की भावना की जाती है जबकि जीते जागते माता-पिता एवं गुरुदेव में तो सचमुच भगवान बसे हैं. ऐसे देवस्वरूप माता-पिता का जहाँ आदर-पूजन होता हो वहाँ की धरती माता भी अपने आपको सौभाग्यशाली मानती है.
