बहुत हो गया अब बस…धर्म-समाज पर बनने वाली फिल्मों की निगरानी करेगा संतों का यह सेंसर बोर्ड

by | Jan 11, 2023 | उत्तर प्रदेश, गुजरात, देश/विदेश, महाराष्ट्र, राजस्थान

आजकल धार्मिक आस्थाओं को ठेस पहुंचाने वाले फिल्मों के सीन से दर्शकों में भारी आक्रोश है उसी के लेकर देश में अब धर्माचार्य और हिंदू धर्म के जानकार फिल्मों और टेलीविजन धारावाहिकों में हिंदू धर्म के अपमान से जुड़ी सामग्री की समीक्षा करेंगे।

इसके लिए शंकराचार्य स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद धार्मिक सेंसर बोर्ड बनाने जा रहे हैं, जो जल्द ही अपना काम शुरू कर देगा। यह बोर्ड स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद के संरक्षक में ही काम करेगा।

कांस्टीट्यूशन क्लब ऑफ इंडिया में प्रेस को संबोधित करते हुए स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि धर्म शोधन सेवालय मतलब धर्म सेंसर बोर्ड का गठन किया गया है। इसमें 11 सदस्यों को शामिल किया गया है। धर्म सेंसर बोर्ड का प्रमुख कार्यालय दिल्ली-एनसीआर में होगा। जल्द ही सभी प्रदेश और जिलों में भी इसके कार्यालय शुरू किए जाएंगे। 15 जनवरी को दिल्ली कार्यालय शुरू किया जाएगा। जबकि प्रयागराज में होने वाले माघ मेले में धर्म सेंसर बोर्ड द्वारा फिल्म निर्माताओं के लिए एक विस्तृत गाइडलाइन भी जारी की जाएगी।

क्यो पड़ी धर्म सेंसर बोर्ड की जरूरत

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि फिल्मों में जहां कोई कमी दिखानी हो तो हिंदू धर्म और जहां अच्छी दिखानी हो तो दूसरे धर्म के जिक्र की परिपाटी चली आ रही है और अब इसे खत्म करना है। बॉलीवुड, टीवी सीरियल समेत ओटीटी प्लेटफार्म पर बनाई जा रही फिल्मों और सीरियल्स में हिंदू-देवी देवताओं का लगातार अपमान किया जा रहा है। इस पर रोक लगाने के लिए हम धर्म सेंसर बोर्ड का गठन करने जा रहे हैं। इस सेंसर बोर्ड के 11 सदस्यों में सुप्रीम कोर्ट के वकील, धर्माचार्य, मीडिया के प्रतिनिधि, साहित्यकार, इतिहासकार, फिल्म अभिनेत्री, सामाजिक कार्यकर्ताओं से लेकर यूपी फिल्म सेंसर बोर्ड के उपाध्यक्ष तक को शामिल किया गया है। सभी सदस्य बोर्ड के संरक्षक को हिंदू धर्म की रक्षा के संबंध में परामर्श भी देंगे।

धर्म सेंसर बोर्ड का कार्य

यह बोर्ड फिल्मों, टीवी और ओटीटी प्लेटफार्म पर दिखाई जा रहे धार्मिक पात्र, उनके डायलॉग, रंग, तिलक और स्क्रिप्ट की समीक्षा करेगा। अगर किसी भी फिल्म में हिंदू धर्म, वेदों और पुराणों की बातों को तोड़ मरोड़ कर दिखाए जाएगा, तो उस पर बोर्ड कार्रवाई करेगा। इसके अलावा यह बोर्ड स्कूल में पढ़ाए जाने वाले पाठ्यक्रम, नाटक और विविध धार्मिक लीलाओं के मंचनों की भी समीक्षा करेगा। धार्मिक सेंसर बोर्ड देश के संत समाज, धार्मिक संस्थानों, धार्मिक पुस्तकों पर दिए जाने वाले बयानों और भाषणों की भी निगरानी करेगा और उनकी समीक्षा करेगा।

फिल्म निर्माताओं की करेंगे मदद, देंगे प्रमाण पत्र

स्वामी अविमुक्तेश्वरानंद ने कहा कि बोर्ड के गठन होने के बाद इसकी सूचना सभी फिल्म निर्माताओं को दी जाएगी। ताकि वो लोग किसी भी धर्म-इतिहास से जुड़ी फिल्में बनाने से पहले हमसे संपर्क करें। हम फिल्म निर्माताओं को धर्म-समाज और इतिहास से जुड़े सभी तथ्य और जानकारी उपलब्ध करवाएंगे। जिसके आधार पर वे फिल्म का निर्माण कर सकें। इसके अलावा फिल्म निर्माताओं को धार्मिक पात्रों के विस्तृत जानकारी से लेकर उनके पहनावे तक की जानकारी भी मुहैया करवाएंगे। जो फिल्म निर्माता हमसे मदद लेगा या हमारी धार्मिक गाइडलाइन के हिसाब से फिल्म तैयार करेगा। उसे धार्मिक सेंसर बोर्ड एक प्रमाण पत्र भी मुहैया करवाएगा।

उन्होंने कहा, इसके अलावा भी कोई समाज या संगठन फिर भी फिल्म पर कोई विवाद खड़ा करता है, तो सेंसर बोर्ड फिल्म निर्माताओं को संरक्षण प्रदान करेगा। वहीं उनके हक के लिए लड़ाई लड़ेगा। लेकिन जो हमारे सेंसर बोर्ड की गाइड लाइन को दरकिनार कर धर्म-समाज से जुड़ी कोई गलत जानकारी वाली फिल्म बनाएंगा, तो हम उस पर जुर्माना की कार्रवाई करेंगे। इसके अलावा भारतीय कानून को ध्यान में रखते हुए पर उचित कार्रवाई की मांग भी करेंगे। अभी सेंसर बोर्ड के पंजीयन की कार्रवाई अंतिम चरणों में है। जल्द ही यह पूरा हो जाएगा। प्रयाग में होने वाले माघ मेले में संतों, आचार्यों और धर्म सेंसर बोर्ड के सदस्यों द्वारा फिल्म निर्माताओं के लिए गाइडलाइन जारी की जाएगी।

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